Anju Dixit

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मां तेरा आँचल

मइया मै तेरी परछाईं हूँ,
  क्योंकि मै हूँ तेरी जाई।

मेरे सर पे हो तेरा आँचल
मानो सारी दुनियाँ साथ
मां बनके तुझको मैं समझ पाईं।

मेरे अंग अंग में,
मेरे रूप रंग में,
तू ही तो है समाई।

मेरा सुख का सबेरा ,
है माँ आँचल तेरा,
सोंचके पलके भर आईं।

मेरे सारे काम मे तू,
मेरे सुबह शाम में तू,
बस कहने को दूर मैं चली आई।

पल पल कदम बढ़ाना सिखाया,
हर मुश्किल में मुझे समझाया,
  तेरे ही पथ प्रदशन ने जीत मुझे दिलाई।

मइया मुझसे कभी दूर न जाना,
साथ हमेशा मेरे रहना,
जीवन की तपती धूप में, माँ तू मेरी पुरवाई।


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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

24-Sep-2021 10:22 PM

बहुत खूबसूरत रचना

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Gunjan Kamal

24-Sep-2021 09:32 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Swati chourasia

24-Sep-2021 07:36 PM

Very nice 👌

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